卍 ॐ जगजीवन नमो नमः श्री जगजीवन नमो नमः। जय जगजीवन नमो नमः जय जय जग जीवन नमो नमः।। 卍

Sunday, April 7, 2019

कीर्ति गाथा 105


          एक बार सुखई कुर्मी ने एक अधिकारी से एक  गांव की वसूली का अधिकार प्राप्त किया और अधिकारी ने जब जमानत मांगी तो सुखई  ने कहा कि अभरन कुंड की जमानत देता हूं जिसे उस अधिकारी ने स्वीकार करके उस गांव की वसूली का अधिकार दे दिया सुखई ने मालगुजारी वसूल की परंतु जमा नहीं किया और अपना सभी सामान लेकर घाघरा के उस पार भाग गया यह  जानकर वह अधिकारी बहुत दुखी हुआ और अभरन कुंड में आकर स्नान किया आंखों में आंसू भर कर बोला कि अब कहां से रुपया लाकर चकलेदार को दिया जाए मैंने आप (अभरन )कुंड पर विश्वास करके सुखई  को वसूली का अधिकार दिया था जो भाग गया अब आप ही मेरी सहायता करें इसके बाद जब वह वापस लौटने लगा तो देखा कि रास्ते में रस्सियों से बंधा हुआ सुखई  कुर्मी उसे पुकार रहा है उस अधिकारी ने निकट जाकर पूछा कि क्या बात है तो सुखई ने कहा कि आप को धोखा देकर भाग गया था इसलिए यह सजा मिली है मैं आपके सभी रुपए अभी दे दूंगा यह कहते ही उसके हाथ खुल गए और अधिकारी को पूरा रुपया मिल गया 
   

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