पंडित नंदलाल तिवारी बड़े प्रकांड विद्वान थे अनेकों शास्त्रों को पढ़कर देश देशाटन करते हुए शास्त्रार्थ करना प्रारंभ कर दिया । और बहुत से पंडितों को हराकर कुंड़वार राज्य में आए जहां पर सतनामी पंडित श्री मेदीरामदास जी रहते थे ,और पंडित मेदीराम जी से सत्यनामपंथ के बारे में शास्त्रार्थ करने लगे ,और कहा कि पंथ की मर्यादा शास्त्रानुसार बताओ नहीं तो तुम्हें यह सतनामी बाना उतारना पड़ेगा। यह सुनकर भक्त पंडित मेदीराम ने समर्थ साई जगजीवन दास जी का स्मरण करके कहा कि सत्य समर्थ जगजीवन साईं मेरी लाज और पंथ की मर्यादा बचाइए।तब समर्थसाईं जगजीवन दास जी ने ध्यान में ही दर्शन देकर आशीर्वाद दिया कि तुम भय मत करो इस पंथ की रक्षा करने वाले श्री राम जी हैं ।और जब शास्त्रार्थ प्रारंभ हुआ तो नंदलाल जी जो भी प्रश्न करते हैं उसका उत्तर पंडित मेदीराम जी वेद शास्त्रोक्त प्रमाण दे कर बोलने लगे ।अंततः नंदलाल ने हार स्वीकार की और मेदीरामजी से क्षमा याचना कर प्रार्थना की और मेदी राम जी को गुरू मानकर मंत्र उपदेश लिया।
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Sunday, April 7, 2019
कीर्ति गाथा 104
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