लाला शंकर दयाल कीरत सागर ग्रंथ के मूल रचनाकार गृहस्थों की तरह अपने परिवार में रहते हुए भी हमेशा भजन भाव में और ध्यान सुमिरन में लीन रहा करते थे और उनके पास हमेशा बहुत से लोग सत्संग के लिए आते रहते थे एक बार एक सज्जन उनके पास रोते हुए आए और उन्होंने पूछने पर बताया कि उनकी पत्नी का स्वर्गवास हो गया है इसलिए वह बहुत ही ज्यादा दुखी हैं और रो रहे हैं यह सुनकर शंकर दयाल जी हंसने लगे और बोले कि अभी तुम्हारी दो स्त्रियां और मरेंगी तुम किसका किसका दुख करोगे तुम्हारे चार विवाह होंगे और चौथी स्त्री जीवित रहेगी उससे तीन पुत्र पैदा होंगे और जीवित रहेंगे यह सुनकर वे शांत हो गए और जैसा लाला शंकर दयाल जी ने कहा था वैसा ही हुआ
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Sunday, April 7, 2019
कीर्ति गाथा 98
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