卍 ॐ जगजीवन नमो नमः श्री जगजीवन नमो नमः। जय जगजीवन नमो नमः जय जय जग जीवन नमो नमः।। 卍

Sunday, April 7, 2019

कीर्ति गाथा 98


          लाला शंकर दयाल कीरत सागर ग्रंथ के मूल रचनाकार गृहस्थों  की तरह अपने परिवार में रहते हुए भी हमेशा भजन भाव में और ध्यान सुमिरन में लीन रहा करते थे और उनके पास हमेशा बहुत से लोग सत्संग के लिए आते रहते थे एक बार एक सज्जन उनके पास रोते हुए आए और उन्होंने पूछने पर बताया कि उनकी पत्नी का स्वर्गवास हो गया है इसलिए वह बहुत ही ज्यादा दुखी हैं और रो रहे हैं यह सुनकर शंकर दयाल जी हंसने लगे और बोले कि अभी तुम्हारी दो स्त्रियां और मरेंगी  तुम किसका किसका दुख करोगे तुम्हारे चार विवाह होंगे और चौथी स्त्री जीवित रहेगी उससे तीन पुत्र पैदा होंगे और जीवित रहेंगे यह  सुनकर वे शांत हो गए और जैसा लाला शंकर दयाल जी ने कहा  था वैसा ही हुआ 
   

No comments:

Post a Comment