卍 ॐ जगजीवन नमो नमः श्री जगजीवन नमो नमः। जय जगजीवन नमो नमः जय जय जग जीवन नमो नमः।। 卍

Tuesday, April 2, 2019

कीर्ति गाथा 62


          एक बार समर्थ साईं जगजीवन दास जी के किसी सेवक ने कहीं से लाकर बहुत ही अच्छा फल देने वाला केले का पौधा लगाया, और विचार किया कि जब यह केला फलेगा तो उसके पक्के फल सबसे पहले समर्थ साईंजगजीवन दास जी को खिलाऊंगा कुछ समय के उपरांत जब केले के पेड़ पर फल आये और पक गए तो उस भक्त ने उसमें से तीन फल तोड़ कर एक ब्राह्मण के हाथ समर्थ जगजीवन दास जी के पास भेजा,परंतु ब्राह्मण ने रास्ते में एक फल खा लिया और दो फल लाकर समर्थ जगजीवन दास जी को दे दिया,जिन्हें देखकर समर्थ साईं जगजीवन दास जी प्रसन्न हुए और बोले कि इसमें से एक फल मेरा  एक फल  आपको  और एक फल  प्रसाद स्वरूप उस भक्त का होना चाहिये इसलिये एक फल उस भक्त को  दे देना और यदि आप ना पाए हो तो आप स्वयं इसी फल्ली को रख लेना और उस भक्तों को कुछ भी ना देना यह सुनकर ब्राह्मण बहुत शर्मिंदा हुआ और क्षमा याचना कर भक्त के पास आया और उसे प्रसाद का फल दिया। 
   

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