卐 सत्यनाम महामंत्र का महात्म्य 卐
एक बार बहुत से सत्यनाम संतों ने आपस में विचार विमर्श किया कि वह सब स्वामी जी से प्राप्त मंत्र का जाप करते हैं किंतु उसका महत्व नहीं जानते हैं। इसलिए सतनाम पंथ के जानकार दूलन दास और देवीदास से पूछना चाहिए। इसके लिए ख्याम दास, गोसाई दास, शिव दास, विशन दास मुल्तानी, उदय राम दास तथा नवल दास एक साथ देवी दास जी के पास गए और सत्यनाम का महात्म्य सुनने की इच्छा व्यक्त की। तब देवीदास जी ने कहा कि आप लोगों का प्रश्न संसार का बड़ा हित करने वाला है। परंतु मैं उसका महात्म्य कहने में असमर्थ हूं। चलकर स्वामी जी के मुखारविंद से सुनना चाहिए। और सभी लोगों ने आकर स्वामी जी से यही प्रश्न किया कि आपने हमको जो मंत्र उपदेश दिया है हम उसका जाप करते हैं। परंतु हमें यह नहीं ज्ञात है कि इस मंत्र के जाप के क्या फल और महत्व हैं। नाम सुना स्वरूप नहीं देखा, यह अगम पदारथ सुलभ किस तरह होता है। कृपा करके आप बताएं। तब दया निधान स्वामी जी बोले:
चार वेद, छह शास्त्र का सार दो अक्षर का मंत्र है। जिसके जाप करने से जीव ब्रम्ह में लीन हो जाता है। श्री ब्रह्मा जी इसी के वल पर संसार बनाने के अधिकारी हुए भगवान शंकर इसी के बल पर दुनिया के प्रत्येक मनुष्य को मुक्ति देते हैं। इच्छा को छोड़ देने से यह सुगम हो जाता है। और नाम की रट लगाने से स्वरूप की प्राप्त होती है। |
Wednesday, April 3, 2019
कीर्ति गाथा 67
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