फतेहपुर में एक किसान को कुष्ठ रोग हो गया और जब ठीक ना हुआ तो अपने पड़ोसी लाला नारायण दास जो स्वामी जी के परम शिष्य थे की सलाह पर समर्थसाई जगजीवन दास जी के दर्शन का विचार बनाया ।यह खबर सुनकर वहां के पठान जमींदार किसान ने कहा कि तू गांव से भागना चाहता है और बहाना बनाता है कि कोटवा में स्वामी जी के दर्शन से तेरा रोग अच्छा हो जाएगा, यह किसी के बस में नहीं है ,यह उनके बस में नहीं है कि वह किसी को अच्छा कर दें या बीमार कर दें और उस किसान को नहीं जाने दिया ,थोड़े दिनों बाद किसान के घाव भरने लगे और वह बिल्कुल ठीक हो गया ,किंतु उस पठान जमींदार के शरीर में भयंकर कुष्ठ रोग हो गया और किसी भी इलाज से राहत ना मिली तब गांव वालों ने पठान से कहा कि महात्माओं के लिए ऐसी अपमानजनक बातें नहीं करनी चाहिए ,तुमने गलती की है और उसी की सजा तुम भुगत रहे हो तब जमींदार के घर वालों ने उस किसान से कहा कि तुमने इनको बीमारी दी है और तू ही इनको अच्छा कर ,तब उसने कहा कि मैं गरीब आदमी उसका कुछ भी भेद नहीं जानता मैं तो केवल समर्थ जगजीवन दास जी को याद करता रहा, अच्छा होता कि यदि आप लोग समर्थसाई जगजीवन दास जी के पास दर्शन करने के लिए नारायण दास कायस्थ से सहायता लेते ,पठान जब लाला नारायण दास के पास गया तो उन्होंने कहा कि मैं इस लायक नहीं हूं कि कोई मदद कर सकूं किंतु समर्थसाई जगजीवन दास जी चाहे तो आप ठीक हो सकते हैं ,तब पठान ने लाला नारायण दास को साथ लिया और कोटवा धाम पहुंच गए ,समर्थ जगजीवन दास जी के दर्शन कर के लाला नारायण दास ने हाथ जोड़कर समर्थ जगजीवन दास जी से विनती की कि महाराज इस पठान से बड़ा अपराध हो गया है, जिसका इसको फल मिला और पूरी घटना बता कर समर्थ जगजीवन दास जी से उस पर दया करने की विनती की ।समर्थ श्री जगजीवन दास जी ने नारायण दास से कहा कि तुम इसे अच्छा कर दो।नारायण दास ने यह आज्ञा पाकर स्वामी जी के पास से थोड़ी विभूति उठाकर उसे दे दिया और कहा कि इसको लगा लो ,स्वामी जी के प्रताप से स्वरूप वान हो जाओ, और पठान जमींदार ने आदर सहित वह भभूत लगाई और कुछ ही समय में उसके घाव भर गए, और वह स्वस्थ हो गया तब से वह पठान समर्थ साईं जगजीवन दास जी का सेवक होकर भक्त हो गया।।
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कीर्ति गाथाएं
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Thursday, April 4, 2019
कीर्ति गाथा 81
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