卍 ॐ जगजीवन नमो नमः श्री जगजीवन नमो नमः। जय जगजीवन नमो नमः जय जय जग जीवन नमो नमः।। 卍

Thursday, April 4, 2019

कीर्ति गाथा 96


          एक राजा के पूर्व जन्म के दुष्कर्म के कारण वह पागल होकर नंगे बदन और कभी-कभी पर कपड़े पहने हुए विक्षिप्तावस्था में इधर उधर घूमा करता था। उसके परिवार के लोगों और दरबारियों ने उसके उपचार का बड़ा प्रयास किया परंतु कोई लाभ ना हुआ, तब वे लोग उसे   महंत रामप्रसाद जी की शरण में ले गए महंत जी ने विचार किया तो पाया कि पूर्व जन्म मे इसने संतों की हत्या का घोर पाप किया है ,अतःसंतो की दया से ही उसका उद्धार हो सकता है इसलिए इसे फतेहपुर में परम सिद्ध नानकशाही संत सुदामा दास के पास ले जाओ, और उनके चेले आशानंद जी का सहयोग लेकर अपना कार्य सिद्ध करो ,यह सुनकर वह लोग राजा को फतेहपुर ले गए और सुदामा दास जी से भेंट कर पूरा हाल बताया ,सुदामा दास जी ने कहा कि एक संत की हत्या के पाप से मुक्त  होना ही बहुत कठिन होता है परंतु इस राजा ने तो तीन संतों की हत्या की है ,मैं इसमें कुछ नहीं कर पाऊंगा ,आप इन्हें कोटवा में समर्थ साईं जगजीवन दास जी के पास ले जाएं ,उन्होंने पुनः कहा कि मैं इतना अवश्य कर सकता हूं कि मैं भी इस के कल्याण हेतु समर्थ स्वामी जगजीवन दास जी से कहूंगा ,तब वह लोग सुदामा दास जी को साथ लेकर समर्थ साई जगजीवन दास जी के पास आए और सुदामा दास जी के अनुरोध पर समर्थ साई जगजीवन दास जी ने कहा कि इस राजा पर तीन संतों की हत्या का पाप लगा है, यह तो आप लोग जानते ही हैं ,और इससे छुटकारा पाने के लिए क्या उपाय किया जाए, इसका विचार अधिक से अधिक संतों को एकत्रित करके किया जाए, इसके लिए लखनऊ में एक भंडारे का आयोजन हो वहीं पर सबकी सहमति से इसका उद्धार संभव है ,यह सुनकर राजा के परिवार वाले राजा को लेकर लखनऊ आये और लखनऊ में स्थान स्थान के संतों को आदर सहित बुलाकर विशाल भंडारे का आयोजन किया जिसमें महंत श्री राम प्रसाद दास जी सुदामा दास जी और समर्थ साई जगजीवन दास जी भी सम्मिलित हुए। वहां पर एकत्रित संतों ने विचार विमर्श करना शुरु किया कुछ लोगों ने कहा कि ऐसा पाप तो बज्रलेप होता है ,यह सुनकर राजा का एक अहलकार बोला कि लगता है पृथ्वी संत महात्माओं से खाली हो गई है, यह सुनकर समर्थ साई जगजीवन दास जी ने उसे बीच में बोलने से मना कर दिया ,और संतों की ओर देखकर बोले इस राजा ने तीन संतों की हत्या की है जिस पाप का भोग करते हुए इसके 6 जन्म बीत चुके हैं तथा शास्त्रों में लिखा है कि संत महात्माओं के दर्शन से अनेकों  जन्म के पाप छूट जाते हैं, दूसरे श्री अयोध्या जी का महत्व है कि वहां जाने से करोड़ों पाप छूट जाते हैं तीसरे गोदान से हत्या का पाप छूट जाता है ,यह आज आप सभी महात्माओं का दर्शन कर चुका है और श्री अयोध्या जी भी होकर आ गया है, केवल गौदान करना बाकी है जो इस राजा के हांथ  से करा दिया जाए तो यह इन हत्याओं के पाप से मुक्त होकर शुद्ध हो जाएगा ,यदि शास्त्र सत्य है तो यह भी सत्य है ।इसे सुनकर सभी लोग प्रसन्न हो गए और राजा को लेकर अयोध्या जी आए और वहां पर सवा लाख गोदान किया गया जिससे वह राजा स्वस्थ हो गया और प्रसन्न चित्त होकर अपने राज्य वापस चला गया।। 
   

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