卍 ॐ जगजीवन नमो नमः श्री जगजीवन नमो नमः। जय जगजीवन नमो नमः जय जय जग जीवन नमो नमः।। 卍

Thursday, April 4, 2019

कीर्ति गाथा 84


          पंडित राम दीनदास आज बड़े प्रसन्न लग रहे थे हल्दी की पैदावार बहुत अच्छी हुई थी श्रीमती जी को देखकर बोले इस बार बहुत मुनाफा होगा  यह सब समर्थ स्वामी की कृपा से होगा यह सोच कर श्रीमती जी से बोले थोड़ी हल्दी स्वामी जी के लिए भी ले जाऊंगा अगले दिन पंडित रामदीनदास हल्दी की पोटली लेकर स्वामी जी के पास पहुंचे पर स्वामी जी तो कुछ संचित नहीं करते थे जो कुछ भी आता था सब भंडारे में इस्तेमाल हो जाता था पर आज होनी को कुछ और ही मंजूर था हल्दी को यशस्वी होना था स्वामी जी ने दरबार में उपस्थित सभी संतो को हल्दी की एक-एक गांठ थमा दी और बोले मेरा भक्त लाया है आप लोग भी स्वीकार करें सभी ने हल्दी को प्रसाद जैसा समझ कर हथेली में रखकर मुट्ठी में बांध कर  रख लिया पर दूलन दास हल्दी लेकर गुरु माता के पास पहुंच गए और बोले माता माता स्वामी जी ने हल्दी की गांठ दी है इसका क्या करूं गुरु माता ने ध्यान से देखा तो एक गांठ हल्दी सोचने लगी यह मसाले के लिए तो नहीं दिया होगा अवश्य ही स्वामी जी ने पूजा पाठ के लिए, या तो किसी के स्वागत में टीका आदि के लिए दिया होगा अतः दूलन दास  से बोली कि ""घिस  डालो घिस कर ले जाओ"" समर्थ साहेब दूलन दास हल्दी की गांठ घिसने लगे हल्दी की गांठ घिस जाने पर चंदन जैसा हो जाने पर कटोरी में डाल कर स्वामी जी के सामने पहुंचे और बोले स्वामी जी हल्दी लीजिए पर सभा में उपस्थित सभी लोग दूलन दास को देख कर हंसने लगे क्योंकि  साहेब दूलन दास के ना सिर्फ हाथ पीले हो गए थे बल्कि  वस्त्रों पर भी हल्दी के रंग लग गए थे और हल्दी की सुगंध आ रही थी तब स्वामी जी ने साहिब दूलन दास को देखकर यह दोहा पढ़ा

"" सत्यनाम हरदी गिरा, रगरे  से सिरसाय
 जगजीवन रगरे बिना, ज्यों के त्यों रहि  जाय ""

अर्थात राम नाम का जप भी इसी  हल्दी की गांठ के जैसा ही है जो जितना अधिक जप  किया जाए अर्थात भजा जाए तो वह अपना रंग और सुगंध वैसे ही छोड़ता है जैसे कि यह हल्दी  ,किंतु  बिना रगड़ के गांठों के जैसा ही रह जाता है इसलिए हमेशा ही नाम जप करते रहना चाहिए इस तरह स्वामी जी अपने भक्तों के द्वारा दिए गए उपहारों को भी अमूल्य वह अविस्मरणीय बना देते थे औरसभी  ईश्वरीय  संदेश  पाकर  प्रसन्न हो  जै  कार करने  लगे ||शुभ सतनाम  बंदगी 
   

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