卍 ॐ जगजीवन नमो नमः श्री जगजीवन नमो नमः। जय जगजीवन नमो नमः जय जय जग जीवन नमो नमः।। 卍

Tuesday, April 2, 2019

कीर्ति गाथा 63


          राम सिंह चंदेल फकीरों का आचरण करके भूत प्रेत को वश में करके सिद्ध महात्माओं से द्रोह  किया करते थे उनके घर में कोई संतान नहीं थी ,जिससे उनकी स्त्री बहुत दुखी रहती थी ,वह जब भी समर्थसाई जगजीवन दास जी की कीर्ति कथा सुनती तो उनके दर्शन हेतु जाने की इच्छा करती थी ,परंतु राम सिंह के डर के कारण जा नहीं पाती थी, उसी गांव में एक ब्राह्मणी रहती थी उसके भी कोई संतान नहीं थी जब वह स्वामी जी के दर्शन हेतु जाने लगी तो ठकुराइन ने उसे बुलाकर पैसा दिया और कहा कि इसे स्वामी जी के दरबार में प्रसाद चढ़ा देना, और उनसे मेरी दर्शन ना कर पाने की मजबूरी भी बता देना ब्रह्माणी ने स्वामी जी को प्रसाद चढ़ाया और सारा हाल कह सुनाया तब समर्थ जगजीवन दास जी ने उसे दो लौंगे उठा कर दे दी और कहा कि एक हमारा और एक तुम्हारा अर्थात एक पुत्र तुम्हारे होगा और दूसरा जो ठकुराइन के होगा वह हमारा भक्त होगा कह देना कि उसका नाम केसरी रखें या आशीर्वाद पाकर ब्रह्माणी प्रसन्नता पूर्वक घर चली आई, एक लौग स्वयं ले लीऔर एक लौंग ठकुराइन को दे दी ,उन दोनों ने ही गर्भ धारण किया और यथा समय दोनों के लड़के पैदा हुए स्वामी जी के आदेशा अनुसार ठकुराइन ने लड़के का नाम केसरी रखा चौथे महीने ठकुराइन के घर में एक बंदर आया और लड़के को उठाकर चल दिया सब ने पीछा किया किंतु उस लड़के का कहीं भी पता ना चला निराश होकर सभी रोने पीटने लगे बारह  दिन बाद एक मुसाफिर ने आकर बताया कि बाग में एक लड़का बंदरों के बीच में गिरा हुआ है ,यह सुनकर सब लोग भागते हुए बाग में पहुंचे तो सभी बंदर बच्चे को छोड़कर दूर  जाकरबैठ गए तब उन लोगों ने उस लड़के को उठा लिया जिसे पाकर ठकुराइन बहुत प्रसन्न हुई और समर्थ जगजीवन दास जी के पास चढ़ावा भेजा और पूरी घटना कह सुनाई तब समर्थ साईं जगजीवन दास जी ने कहला भेजा कि उसकी चिंता ना करें, वह खुद ही दूसरों की चिंता दूर करने वाले हैं, जब केसरी बड़े हुए तो समर्थ साईं जगजीवन दास जी के पुत्र जलाली दास से मंत्र उपदेश लिया और केसरी दास के नाम से प्रसिद्ध हुए जिनके दर्शन मात्र से ही पागल और उन्माद के रोग के रोगी ठीक हो जाते थे। 
   

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