एक बार समर्थ साईं जगजीवन दास जी ने ध्यान में त्रिवेणी के जल का स्मरण कर स्नान किया ,ध्यान स्नान के समय समर्थ साई जगजीवन दास जी ने यह विचार किया कि प्रत्यक्ष रूप से त्रिवेणी जल को प्रकट करके भौतिक रूप से स्नान किया जाये, तब सत्यलोक से श्री त्रिवेणी जी को लाकर अभरन कुंड में प्रकट किया तब उस समय आकाश में घंट शंख दुन्दुभी आदि बजने लगे , और तब त्रिवेणी जी का निर्मल जल अमृत स्वाद का देने वाला तथा जन्म जन्म के पापों को मिटाने वाला अभरन कुंड में भर गया, तब समर्थ साईं जगजीवन दास जी ने उठकर उसमें स्नान किया और उपस्थित सभी भक्त लोगों से कहा कि यह त्रिवेणी जी की धारा है इसमें स्नान करो क्योंकि कुछ देर बाद यह धारा घाघरा नदी में लुप्त हो जाएगी ,और जब उपस्थित लोगों ने स्नान कर लिया तब त्रिवेणी की वह अमृत जलधारा घाघरा (सरयू) नदी में विलुप्त हो गई।
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Friday, April 5, 2019
कीर्ति गाथा 11
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