卍 ॐ जगजीवन नमो नमः श्री जगजीवन नमो नमः। जय जगजीवन नमो नमः जय जय जग जीवन नमो नमः।। 卍

Wednesday, March 27, 2019

कीर्ति गाथा 16


          समर्थ साई  श्री  जगजीवन दास जी के घर में खेती होती थी एक  वर्ष अच्छी वर्षा हुई और उनके खेत भी बोये गए तब उनके बड़े भाई ने कहा कि चिड़िया और जंगली जानवर खेतों के दाने खा जाएंगे अतः तुम खेत में जाकर रखवाली करो तब समर्थ साई श्री  जगजीवन दास जी ने उत्तर दिया कि हम रखवाली नहीं करेंगे यह सुनकर बड़े भाई को बहुत क्रोध हुआ किंतु पिताजी ने समझाया कि अभी बच्चे हैं इसलिए इनको रखवाली हेतु ना भेजो ऐसा कहकर पिता जी किसी दूसरे गांव को किसी काम से चार-पांच दिन के लिए चले गए पर बड़े भाई ने  पिताजी के चले जाने के बाद फिर से समर्थ साई  श्री  जगजीवन दास  जी को खेतों में जाने के लिए कहा तब स्वामी जी ने कहा अच्छा हम जाते हैं और अकेले चले गए स्वामी जी खेत के पास बैठकर ऐसे ध्यान मग्न हुए कि संसार की कोई सुध ना रही तो खेतों की रखवाली कौन करे परिणाम स्वरुप खेत का सारा अनाज जंगली जानवर और चिड़ियों ने खा लिया और जब पांचवे दिन एक प्रहर रात्रि बीते पिताजी दूसरे गांव से घर वापस आए और स्वामी  जी के बारे में पूछा कि जगजीवनदास कहां हैं तब मालूम हुआ कि वह खेतों में हैं,यह सुनकर उन्हें बहुत दुख हुआ और कहा कि उन्हें अकेले जंगली जानवरों ने  कोई नुकसान ना पहुंचा दिया हो इसलिए अपने साथ कई आदमी लेकर वहां जाओ और खबर लेकर आओ किंतु बड़े लड़के ने इस बात पर कोई ध्यान नहीं दिया और ना ही किसी को जाने के लिए कहा ,बाद पिताजी स्वयं उठकर गए  पता लगाने को,और खेत के पास जाकर तलाश किया और जाकर देखा कि स्वामीजी कुशा बिछाए लेटे हैं और आसपास जंगली जानवर घेरे खड़े हैं तब जानवरों को भगाकर उनको उठाया और प्रेम पूर्वक घर ले जाए जब सुबह हुई तो बड़े भाई ने खेत पर जाकर देखा कि खेत का सारा अनाज जंगली जानवर और जंगली चिड़ियों ने खा लिया है तब वह क्रोधित होकर घर लौट आए और पिताजी से आकर कहा कि खेतों में एक भी दाना नहीं रहा इस पर समर्थ साई  श्री  जगजीवन दास जी पिताजी के पास आए और कहा इसका दुख ना कीजिए ,श्री राम जी की महिमा बहुत बड़ी है उनके रोम रोम में अनेक भुवन विराजमान है जिनकी माया से पृथ्वी आकाश पाताल सूर्य चंद्र नक्षत्र पर्वत नदी जंगल हीरा मोती इत्यादि विराजमान है हम उन्हीं का भरोसा करते हैं और उनके समीप हमारी खेती का प्रबंध करना कठिन नहीं है अतः आप दुख ना करें और अपने खेतों में हल ना चलाएं अनाज पैदा होना होगा तो होगा इसके उपरांत पिताजी और बड़े भाई अगले दिन जब खेतों में आए तो उन्होंने देखा कि खेत में बोये हुए अनाज के पौधे मौजूद हैं और जब खेतों को काटा गया तो बहुत अधिक अनाज पैदा हुआ जैसा कि पहले कभी भी पैदा नहीं हुआ था उसे देखकर सभी लोग बहुत प्रसन्न हो गए।।
                      
बाल  लीला
राजेश्वर कमलेश्वर परिगें,  जगजीवन नादानी मां
जे केउ सुमिरै सत्यनाम, ना घाटा परै किसानी मा (1)
आठ बरस के जगजीवन का, हुकुम होइ गवा भइया कै
आज परीक्षा लेय विधाता ,जग की नाव खेवइया कै (2)
जात अही नेउता खातिर,जगजीवन कहूँ  ना जाया तू
डंडा लइके फटकारया, दिन रातै  खेत रखाया  तू (3)
जगजीवन जू सोचै मनमा, का खोना का पाना है
राम नाम से बढके आखिर,जगमा कौन खजाना है(4)
भइया चले गयें  नेउते का,जगजीवन जू  खेत गयें
जपैं सुमिरनी सत्य नाम कै , पाँच  दिना यहि भांति गयें (5)
आधा तीहा गोरू चरिगें, भै  बरबादी सेतैं  मां
सबै धान का चिरई चुगि गय , भूसी गिर गय खेते मा(6)
जगजीवन तू काउ रखाया, गोरू बछरू  खाय  गयें
चिरई सगरो बाली चुगि गै , भैया जी रिसिय़ाय गयें (7)
पारब्रह्म का जे केउ  जानै ,ते जानै  जगजीवन का
जगजीवन रखवारी जेहकै,  वहकै बार नहीं बंका (8)
आदि जोत के माया पसरी, जग जीवन कै दाया भै
गिरी फसल सब सीधी होइ गय,पाती पेड़ सवाया भै (9)
हर भूसी मा चाउर घुसिगा , बना धान फिर बाली भै
अलख लखइया के लखि देतै,खड़ी फसल मतवाली भै (10)
गली बहारै ज़े  कोटवा कै , जो चाहे सरकार करै
 रिद्धि सिद्धि दहिने बाएं ,जे  कोटवा  दरबार करै (11) 
   

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