धनावां गांव के सोवंश सिंह ठाकुर के कोई संतान ना थी जिससे वह बहुत दुखी रहते थे जो कोई जो भी उपाय बताता उसे करते फिर भी कोई लाभ ना हुआ एक बार किसी ने समर्थ साई जग जीवनदास जी का जिक्र किया जिसे सुनकर वह समर्थ साई जग जीवनदास जी के दर्शन हेतु चल दिए मार्ग में उन्होंने विचार किया कि स्वामी जी से पुत्र प्राप्ति हेतु बिनती करनी चाहिए और जब समर्थ साई जग जीवनदास जी के पास पहुंचे तो प्रणाम करके एक नारदीय भजन गाने लगे जिसे सुनकर समर्थ साई जग जीवनदास जी ने आशीर्वाद दिया की सोवंश तुम्हारा मनोरथ पूरा हो जिस पर सोवंश ने विचार किया कि समर्थ साई जग जीवनदास स्वामी जी ने बिना पूछे हुए मेरे मनोरथ को पूरा होने का आशीर्वाद दे दिया इसलिए अब मनोरथ व्यक्त करने का कोई अर्थ नहीं रह गया फिर वहां से चलकर अपने घर वापस आए और समर्थ साईं जगजीवन दास जी के आशीर्वाद से घर वालों को बताया जिसे सुनकर सभी प्रसन्न हो गए सोवंश की पत्नी ने गर्भ धारण कर दसवें महीने पुत्र को जन्म दिया जिसका नाम दीनापत रखा गया।
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Monday, April 1, 2019
कीर्ति गाथा 56
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