卍 ॐ जगजीवन नमो नमः श्री जगजीवन नमो नमः। जय जगजीवन नमो नमः जय जय जग जीवन नमो नमः।। 卍

Sunday, March 31, 2019

कीर्ति गाथा 48


          एक बार समर्थ साईं जगजीवन दास जी के पास दूलन दास, देवीदास, गोसाई दास, ख्यामदास ,उदय राम दास अहलाद दास विष्णु दास मुल्तानी शिवदास पंजाबी ,नेवल दास, रामदास, सुखराम दास, बच्चू पाठक एवं रुप बक्स आदि संत लोग बैठे थे तथा डला दास तंबूरा बजाकर भजन गा रहे थे उसी समय अभरन कुंड पर एक ठग जती  का रूप बनाए हुए आया और स्नान करके मिठाई और फल का भोजन किया और गांव के लोग जो भी वहां आते जाते उन्हें भी मिठाई और फल प्रसाद की तरह देता और ज्ञान की बातें करता इसकी सूचना किसी ने समर्थ साईं जगजीवन दास जी को दी तो समर्थ साई  जगजीवन दास जी ने कहा कि वह ठग है वह जहर देकर दूसरों का धन आदि ले लेता है उसके पास झोली में अशरफिया हैं और उसी झोली में जहर भी है यह  सुनकर गांव के कुछ लोग अब अभरन कुंड पर गए और वहां पर वैसा ही पाया जैसा समर्थ साईं जगजीवन दास जी ने कहा था उस ठग  से पूछताछ करने पर वह घबरा गया और समझ गया कि उसकी पोल खुल गई है इसलिए वह भागने का प्रयास करने लगा किंतु गांव वालों ने उसकी झोली खुलवा कर देखा तो उसमें रुपए अशर्फी और जहर को मौजूद पाया तब वह ठग  जो साधु वेश में था उस गांव में फिर से ना आने की कसम खाने लगा और गांव वालों को समर्थ जगजीवन दास जी की कसम दिला कर अपनी जान बचाई और भाग गया 
   

No comments:

Post a Comment