सरदहा में जिस स्थान पर ध्यान चबूतरा बना हुआ था उसके पास घाघरा नदी का जल भरा रहता था और बहुत सी मछली उस जल में निवास करती थी और ऐसा जगत विख्यात है कि महात्माओं के दरबार से सबको कुछ ना कुछ मिलता जरूर है मछलियों को भी प्रसाद मिलता था एक बार मछली पकड़ने वालेकुछ शिकारी वहां आए और जल में जाल डाल कर मछलियों को पकड़ना चाहा तब समर्थ साई जगजीवन दास ने एक सेवक से कहा कि उसको जाल डालने से मना करो तब सेवक ने मछली पकड़ने वालों के पास जा कर कहा किंतु उन लोगों ने कहना नहीं माना तब सेवक वापस लौट कर आया और स्वामी समर्थ साई जगजीवनदास से बताया कि वह लोग नहीं मांन रहे हैं तब स्वामी जी ने कहा कि अब नदी पर जाकर नदी से कह दो कि तुम मछली को मत पकड़वावो यह बात उस सेवक ने जाकर नदी पर कह दी परिणाम यह हुआ कि शिकारियों ने जब जाल डाला तो एक भी मछली जाल में ना फंसी और सब भाग कर नदी की धारा में चली गई तब शिकारियों को विश्वास हुआ कि उन्हें वहां मछली नहीं पकड़नी चाहिए
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Wednesday, March 27, 2019
कीर्ति गाथा 27
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