एक बार पानी ना बरसने से सूखा पड़ गया आदमी भूख से मरने लगे तब बहुत से लोग समर्थ साई जगजीवनदास जी के पास आये और पानी बरसने की प्रार्थना करने लगे तब समर्थ साई जगजीवनदास ने सब लोगों की ओर देखा और एक ब्राह्मण लड़के को अकेले देखकर पूछा तुम अकेले क्यों आए हो तब उस लड़के ने कहा मेरे माता पिता ने मुझे घर से निकाल दिया है इसी कारण अनाथ होकर आपकी शरण में आया हूं अब आप ही मेरा प्रतिपालन कीजिए प्रभु| उस पर दया दृष्टि डालकर समर्थ साई जगजीवन दास ने कहा की ब्रह्मा विष्णु महेश आदि देवता ब्राह्मण और साधु की बात जरूर मानते हैं अगर यह ब्राह्मण बालक कहे की वर्षा होगी तब वर्षा जरूर होगी इसे सुनकर सभी लोगों ने उस लड़के को घेर लिया लड़के ने स्वामी जी की इच्छा जानकर कहा कि हे नारायण जल बरसाओ बस लड़के का इतना कहना था कि जोरो से हवा चलने लगी बादल घिर आए और पानी बरसने लगा और इतनी बरसात हुई कि अकाल मिट गया तब सब अपने अपने घर को चले गए किंतु वह लड़का कहीं ना गया तब समर्थ साई जगजीवन दास ने कहा कि तुम अपने घर को क्यों नहीं गए तब उस लड़के ने कहा मैं आपको छोड़ कर कहीं ना जाऊंगा अब आप ही मेरा प्रति पालन कीजिए तब समर्थ साईं जगजीवन दास ने अपनी टोपी उसके सिर पर रखकर सैल्ही और धागा बांधकर मंत्र उपदेश किया और दक्षिण दिशा में जा कर उस बालक ने भक्ति मार्ग का बड़ा विस्तार किया
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Wednesday, March 27, 2019
कीर्ति गाथा 26
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