समर्थ साई जगजीवन दास जी की कन्या के विवाह हेतु जब बारात आई तो भांवर के लिए दूल्हे को दरवाजे पर बुलाया गया उसी समय बड़े जोर से पानी बरसने लगा तो पंडितों ने कहा विवाह का मुहूर्त निकला जा रहा है तब समर्थ साई जगजीवन दास स्वामी जी ने कहा जो सरकार की इच्छा हो उसमें हमें खुश होना चाहिए जिस मुहूर्त में सरकार बयाह होना चाहेंगे वही उत्तम होगा तब साहेब देवीदास मस्ताने ने कुछ कहना चाहा किंतु समर्थ साई जगजीवन दास जी ने उन्हें अपने पास बिठा लिया और कहा कि हमारा तन मन धन और सब क्रियाकलाप भगवान की इच्छा पर ही निर्भर है और हमारा कार्य केवल अजपा जाप साधु सेवा और शरीर में विभूति लगाना ही है और विभूति में ही समाये रहना है दूसरे कार्यों से कोई मतलब नहीं फिर पंडितों से कहा कंबल तानकर विवाह की रस्म शुरू करो जब लोगों ने कंबल तानना चाहा कि एकाएक पानी रुक गया और अच्छी तरह से वैवाहिक कार्य संपन्न हुआ
|
Thursday, March 28, 2019
कीर्ति गाथा 29
Subscribe to:
Post Comments (Atom)
No comments:
Post a Comment