卍 ॐ जगजीवन नमो नमः श्री जगजीवन नमो नमः। जय जगजीवन नमो नमः जय जय जग जीवन नमो नमः।। 卍

Thursday, March 28, 2019

कीर्ति गाथा 29


          समर्थ साई जगजीवन दास जी की कन्या के विवाह हेतु जब बारात आई तो भांवर के लिए दूल्हे को दरवाजे पर बुलाया गया उसी समय बड़े जोर से पानी बरसने लगा तो पंडितों ने कहा विवाह का  मुहूर्त निकला  जा रहा है तब समर्थ साई जगजीवन दास स्वामी जी ने कहा जो सरकार की इच्छा हो  उसमें हमें खुश होना चाहिए जिस मुहूर्त  में सरकार बयाह होना चाहेंगे वही उत्तम होगा तब साहेब देवीदास मस्ताने ने कुछ कहना चाहा किंतु समर्थ साई जगजीवन दास जी ने उन्हें अपने पास बिठा लिया और कहा कि हमारा तन मन धन और सब क्रियाकलाप भगवान की इच्छा पर ही निर्भर है और हमारा कार्य केवल अजपा जाप साधु सेवा और शरीर में विभूति लगाना ही है और विभूति में ही समाये  रहना है दूसरे कार्यों से कोई मतलब नहीं फिर पंडितों से कहा कंबल तानकर विवाह की रस्म शुरू करो जब लोगों ने कंबल तानना  चाहा कि एकाएक पानी रुक गया और अच्छी तरह से वैवाहिक कार्य संपन्न हुआ 
   

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