एक बार जेठ आषाढ़ के महीने में अटवा में वर्षा नहीं हुई जिससे वहां के निवासी नर नारी एवं पशु बहुत पीड़ित हुए वहीं पर समर्थ साई जगजीवन दास जी के एक सेवक राम दास जी रहते थे वहां के निवासियों ने उनसे बरसात होने की प्रार्थना की रामदास जी ने कहा कि मैं इस लायक नहीं हूं किंतु मेरी बिनती समर्थ साई जगजीवन दास जी से अवश्य हो सकती है जिनके लिए कुछ भी असंभव नहीं है तब उन ग्राम वासियों को लेकर रामदास जी समर्थ साई जगजीवन दास जी के पास आए रामदास जी को उदास देख कर समर्थ साई जगजीवन दास जी ने उनसे कुशल क्षेम पूछा तब रामदास जी ने कहा कि अटवा गांव में पानी ना बरसने से भूमि उसर हो गई है तब समर्थ साईं जगजीवन दास जी ने कहा कि यह अच्छी तरह विश्वास रखो कि राम जी सब का भरण पोषण करने वाले हैं उनसे किसी को दुख नहीं मिलेगा और इतने दिन पानी ना बरसाने से लाभ ही मिलेगा इस समय अटवा में बहुत जोर से बारिश हो रही है इस बात का विश्वास कर राम दास जी ग्राम वासियों के साथ अटवा लौट आए और वहां आकर देखा कि जैसा समर्थ साई जगजीवन दास जी ने कहा था वैसी ही बारिश हुई थी और संपूर्ण धरती जल से परिपूर्ण थी
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Saturday, March 30, 2019
कीर्ति गाथा 39
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