卍 ॐ जगजीवन नमो नमः श्री जगजीवन नमो नमः। जय जगजीवन नमो नमः जय जय जग जीवन नमो नमः।। 卍

Wednesday, March 27, 2019

कीर्ति गाथा 17


          अनंत कोटि ब्रम्हांड नायक समर्थ साई श्री जग  जीवनदासजी के कार्यक्षेत्र भरतखंड में अवतरण के समय परमेश्वर से आज्ञा मिली कि कलयुग का युग अत्यंत दुष्कर है इसमें बहुत से लोग वेद  विरोधी होंगे अतः उन्हें भक्ति की शिक्षा देना तबसमर्थ साई श्री जग  जीवनदासजी जी ने भूलोक पर अवतरित होकर बारह वर्ष तक ध्यान व समाधि लगा कर चित्त स्थिर करके इंद्रियों को वश में कर लिया उसी समय परमेश्वर की इच्छा से आकाशवाणी में यह  शब्दोंच्चारण हुआ"" सत्यनाम सत्य"" और दसों अनहद बाजे बजने लगे और ब्रह्म रूप श्री राम जी जो सब  मे  ज्योतिर्मय रूप में व्याप्त हैं उसी ज्योति को हृदय में धारण कर सत्य नाम सत्य का उच्चारण किया और काला सफेद धागा हाथों में बांधा और इक्कीस  ब्रह्मांड की याद दिलाने वाले 21 दानों की सुमिरन माला बनाई और चंद्राकार टोपी सिर पर रखी और सेल्ही  गले में पहनी और अजपा मंत्र का जाप उठते बैठते सोते जाते सदैव करने लगे और विरक्त भाव में वाद विवाद से परे चारों वर्णों के भक्तों को सत्यनाम का उपदेश साधु सेवा का धर्म शिक्षा प्रारंभ की तब से सतनामी पंथ जारी हुआ और यही बात सतनामी पंथ की मर्यादा बनी 
   

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