卍 ॐ जगजीवन नमो नमः श्री जगजीवन नमो नमः। जय जगजीवन नमो नमः जय जय जग जीवन नमो नमः।। 卍

Wednesday, March 27, 2019

कीर्ति गाथा 22


          सरदहा गांव के निकट दूसरे गांव में स्वामी जी का एक भक्त रहता था उस गांव के ब्राह्मण उसे देखकर हंसा करते थे और कलयुग के प्रभाव से स्वामी जी की निंदा भी करते थे गुरु निंदा सुनकर भक्त को बहुत कष्ट होता था अतःवह वहां से स्वामी जी के पास चला आया और वहां आकर उसने अपनी पीड़ा स्वामी जी से बताइए स्वामी जी ने कहा है इसका दुख ना करो जो लोग जिस चीज को नहीं जानते उसकी कद्र नहीं करते भक्ति के मार्ग पर चलने वालों का धर्म हैकि सबकी बातें सुनना और उन पर क्रोध ना करना इसे सुनकर उस वक्त का दुख मिट गया तभी स्वामी जी का कुत्ता मोती दास आया तब स्वामी जी ने कहा मोती दास अब तुम उस गांव में जाकर बैठो तुम को इन बातों का कष्ट ना होगा उसी समय मोती दास शीश नवाकर उस गांव में चला गया और और जाकर उसी गांव में रहने ला, और कुछ दिन बाद वहीं पर शरीर त्याग दिया तब स्वामी जी ने कहा कि उसकी समाधि बना दो, अत भक्त लोगों ने उसकी समाधि बना दी उसी वर्ष उन गांव वालों को जुड़ी बुखार की बीमारी हुई और महामारी की तरह फैल गई कोई भी दवा और उपचार से लाभ ना हुआ तब लोगों ने सलाह की कि स्वामी जी की शरण में चला जाए तभी मुक्ति मिलेगी तब सब लोग सरदारा गांव आए और स्वामी जी से विनती की कि हमें इस कष्ट से मुक्ति दिलाइये और हमें अपने पंथ का बाना प्रदान कीजिए तब स्वामी जी ने कहा है कि पहले अपनी बीमारी दूर करने की चिंता करो तुम्हारे गांव में सतनामी भक्त मोती दास कुत्ते की समाधि है वहां रोट चढ़ावो जिससे तुम सब की बीमारी मिट जाएगी उसके बाद दूसरे मनोरथ का विचार करना तब सब ने ऐसा ही किया और उनको बीमारियों से मुक्ति मिल गई तदोपरांत उन सब ने स्वामी जी से मंत्र उपदेश लिया।।

भक्त मोती दास की महिमा का वर्णन करते हुए समर्थसाहब गुरूदत्त दास जी ने कोटवा महातम ग्रंथ में लिखा भी है कि;-
कोटवा के पच्छूं तरफ, है मदारपुर गांव।
कूकुर मोतीदास कै,भै समाधि तेहि ठांव।।टका अंगौछा रोट चढ़ावै।
ज्वर जूड़ी तेहिं निकट न आवै।।
करि विश्वास दरस जे करते।
जुड़ी के मारे नहिं मरते।।
आज भी बहुत से भक्तों की श्रद्धा मोतीदास जी में है, प्रति मंगलवार को भक्त उनकी समाधि के दर्शन करने जाते हैं, और बहुत से ज्वर जूड़ी से परेशान लोग दूर दूर से आकर दर्शन कर इस जूड़ी ताप जैसी बीमारी से मुक्ति पाते हैं। 
   

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