卍 ॐ जगजीवन नमो नमः श्री जगजीवन नमो नमः। जय जगजीवन नमो नमः जय जय जग जीवन नमो नमः।। 卍

Saturday, April 6, 2019

कीर्ति गाथा 6


          समर्थ साईं जगजीवन दास जी ध्यान चबूतरे पर बैठने के अलावा रात्रि के समय अक्सर निगाहों से अदृश्य हो जाते थे और किसी को मालूम नहीं पड़ता था कि वह कहां जाते हैं ।माता ने अनेकों  बार ध्यान दिया कि समर्थ स्वामी जगजीवन दास जी कभी बिस्तर पर मौजूद रहते हैं ,और कभी अदृश्य रहते हैं। लेकिन माता के मन में सदैव ही यह भ्रम बना रहता था कि शायद मेरे देखने में भ्रम या धोखा हुआ होगा। एक बार समर्थ साईं जगजीवन दास जी को बिस्तर पर ना पाकर माताजी ने ढूंढना शुरू किया ,और वह घर पर तथा पूरे गांव में ढूंढ कर बागों में ढूंढती हुई अभरन कुंडपर पहुंची तो देखा कि एक बेदी बनी है उस बेदी पर सुंदर बिछौना बिछा है और संत लोग एकत्रित हैं ।और समर्थ साईं जगजीवन दास जी उच्च आसन पर विराजमान होकर ज्ञान उपदेश दे रहे हैं ,तब माताजी भी उपदेश सुनने में मग्न हो गई और समर्थ साई जगजीवन दास जी को तलाशने की बात भूल गई ।कुछ देर बाद समर्थ साईं जगजीवन दास जी और एकत्रित संत समाज वहां से अदृश्य हो गया तब माताजी घर वापस आईं तो समर्थसाई जगजीवन दास जी को घर पर मौजूद पाया।। 
   

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