एक बार समर्थसाई जगजीवन दास जी स्नान करके चबूतरे पर ध्यान लगाकर बैठे थे कि उधर से ग्वालिनें दूध दही से भरा बर्तन सिर पर लेकर निकलीं और चबूतरे के पास बैठकर आपस में पूछा कि यह लड़का कौन है ?और यहां अकेले क्यों बैठे हैं ?तब किसी ने बताया कि ठाकुर गंगा राम साहब के पुत्र हैं और ईश्वर के बहुत ही बड़े भक्त हैं। उसी समय समर्थ जगजीवन दास जी ने आंख खोलकर सत्य नाम सत्य कहा और उनकी तरफ देख लिया, तब उसके उपरांत ग्वालिनियां उठकर दही बेचने चली गई ।उस दिन सबकी रोज से ज्यादा बिक्री हुई, तब उन ग्वालिनों ने विचार किया कि यह सब समर्थ साई जगजीवन दास जी के दर्शन का फल है, इसलिए अब रोज ही प्रातः काल के समय उनके दर्शन करके जाना चाहिए ।अतः ग्वालिनें नियमित समर्थ साई जगजीवन दास जी के दर्शन के लिए आने लगी उनको देखकर सभी लोग दर्शन के लिए आने लगे दूध दही मिठाई फल आदि पूजा में आने लगा, तब समर्थ साई जगजीवन दास जी ने हुक्म दिया कि इसको संत लोग एवं अभ्यागत गरीब ,और भूँखे लोग ले लिया करें ,और किसी को इसे लेने का अधिकार नहीं है।
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Saturday, April 6, 2019
कीर्ति गाथा 7
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