卍 ॐ जगजीवन नमो नमः श्री जगजीवन नमो नमः। जय जगजीवन नमो नमः जय जय जग जीवन नमो नमः।। 卍

Friday, April 12, 2019

समर्थ साहेब शिवदास जी     Photo Galary
          समर्थ साहेब शिवदास  का जन्म पंजाब प्रांत में ब्राह्मण कुल में हुआ था आप बचपन से ही ज्ञान ,ध्यान, संत, ईश्वर आदि  रहस्यात्मक विषयों में अधिक रुचि लेते थे तथा रसायनों वर रस  विद्या में निपुण थे आपने भारत के बड़े-बड़े रस सिद्धों के महान लेखों का संकलन कर एक वृहद पुस्तक ग्रंथ तैयार किया और बहुत से प्रयोग कर स्वर्ण कल्प साधना में प्रवीण हुए  तथा ऐसी विधि की खोज कर ली थी कि आप एक बार में ही एक मन सोना बना सकते थे इसी ज्ञानाभिमान में आपने प्रतिज्ञा की कि जो मुझे ज्ञान में परास्त करेगा या मेरा सिर स्वयं ही श्रद्धा से जिसके सामने नतमस्तक हो जाएगा मैं उसी की शिष्यता स्वीकार कर उसे ही यह  ग्रंथ भेंट में दूंगा एवं इसी खोज में तीर्थाटन करते-करते समर्थ  साहेब शिव दास कोटवा धाम पधारे और समर्थ साईं जगजीवन दास की ओज मईवाणी और लीला से अभिभूत हुए और श्रद्धा से नतमस्तक हुए तब रस कल्प का वह महान ग्रंथ आपने समर्थ साईं जगजीवन दास जी को देना चाहा पर समर्थ साईं जगजीवन दास जी ने कहा तुम एक बार में एक ही मन सोना बना सकते हो पर सत्य नाम तो लाखों पारस का जन्मदाता है यह सुनकर समर्थ  साहेब शिवदास ने वह ग्रंथ घाघरा नदी में विसर्जित कर दिया और शिष्यता ग्रहण की तथा गोंडा जिले में रहकर नाम उपासना करने लगे समर्थ साहेब शिवदास  बचपन से ही परम ज्ञानी भी थे और पंडित भी और अब महान नाम उपासक बन चुके थे फलत:  आपकी कीर्ति दूर-दूर तक फैलने लगी यह बात गोंडा राज्य के उच्च कुलीन वेद पाठी  पंडितों के ईर्ष्या का विषय बन गई और उन्होंने राजा से उल्टी सीधी शिकायत कर समर्थ साहेब शिवदास को  शिष्यों सहित दरबार में तलब करवाया भोजन के उपरांत राजा ने राजपुरोहित अनूपानंद जी को पान मंगाने का आदेश दिया तो राजपुरोहित अनूपानंद ने छल पूर्वक सिर्फ सादे पान का पत्ता सिर्फ चुना कत्था लगा हुआ ही मंगाया किंतु जब राजसभा में सब को पान भेंट  किया गया तो सबके पान लोंग सुपारी इलायची आदि मसालों से युक्त हो गए थे किंतु पुरोहित का पान ही   सादे  का सादा और ज्यादा चूने वाला रह गया था यह चमत्कार देख अनूपानंद ने समर्थ साहेब शिवदास से क्षमा याचना की समर्थ साहेब शिवदास  की  कई कीर्तियां कीरत सागर नामक ग्रंथ में वर्णित है जिन्हें इस ब्लॉग में भी शामिल किया गया है कहते हैं समर्थ साहेब शिवदास  एक बार समर्थ साई  जगजीवन दास के दर्शन हेतु कोटवा धाम पधारे तब साहिब श्री बल्ला दास (बलराम दास) जी ने समर्थ साहेब शिवदास के सामने सादे पान के पत्ते रखते हुए कहा कि गोंडा के महाराज के सामने सारे पान मसाले वाले बना दिए थे और अब चमत्कार दिखाने लगे हो यहां करके दिखाओ तो जाने समर्थ  साहेब शिवदास  जी की आंखों में आंसू आ गए गुरु पुत्र को कैसे समझाएं कि क्या परिस्थितियां थी अतः हाथ जोड़ते हुए समर्थ  साहेब शिवदास दास ने कहा यदि मुझ पर मेरे सतगुरु प्रसन्न हो  जो अपने भक्तों की लाज बचाते हैं तो सारे पान मसाले युक्त हो जाएं और जब साहेब  श्री बल्ला दास जी ने देखा तो सारे पान मसाले युक्त हो गए थे जब समर्थ साईं जगजीवन दास जी ने यह बात  सुनी तो उन्होंने शिवदास को हृदय से लगाते हुए कहा मुझ में और तुम में कोई भेद नहीं कोई दूरी नहीं और तुम सब में समर्थ हो यह मेरी विशेष इच्छा  है कि तुम पंजाब जाकर सतनाम पंथ की अलख  जगाओ  अतः समर्थ साई जगजीवन दास जी के आदेशानुसार साहेब शिवदास शिष्यों  सहित पंजाब की ओर गए वर्तमान में समर्थ साहेब शिवदास का समाधि स्थल पाकिस्तान शासित पंजाब में पड़ता है आप विशुद्ध नामोपासक रहे तथा 14 गद्दी में आपको स्थान प्राप्त है तथा आप स्मरण मात्र से ही दुखों को दूर करने वाले हैं

समर्थस्वामी जगजीवन साहब के चार प्रथम शिष्य



समर्थस्वामी जगजीवन साहब के 14 शिष्य (14 गद्दी)



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