🚩 🚩 अनंत कोटि ब्रह्मांड नायक सच्चिदानंद स्वरूप श्री समर्थ साहेब जगजीवन दास की शिष्य परंपरा में श्री समर्थ साहेब पियारेदास जी का नाम बड़े ही श्रद्धा और सम्मान के साथ लिया जाता है आगे इसी ब्लॉग में आप पढ़ेंगे कि कैसे जड़ वस्तुएं भी नाम उपासना की गवाही देती थी समर्थ साहब प्यारे दास जाति से मुसलमान थे l
धुनिया अर्थात रजाई गद्दे आदि में रुई भरकर बनाने का काम करते थे आप जाति पाति के आडंबरों से बहुत ऊपर थे आप का मानवतावादी दृष्टिकोण अध्यात्मिक ज्ञान जितना गहरा था गुरु चरणों में प्रेम भी उतना ही गहरा था आप ने आजीवन कोई शिष्य नहीं बनाया और ना ही किसी को मंत्र दीक्षा दी आप कहते थे कि अभी मैं ही पूर्ण से शिष्य नहीं बन पाया अतः बानी उपदेश आदि करते थे और दीक्षा के लिए सद्गुरु की शरण में ही भेज देते थे आपका जन्म जरौली बाराबंकी में हुआ था और यही आपकी तपोस्थली और कर्म स्थली रही आप आजीवन जरौली में ही रहे और सतलोक लीन होने के उपरांत आप की समाधि मंदिर जरौली में ही बनाई गई यहां प्रत्येक गुरुवार को भक्तों की भारी भीड़ होती है और नित्य आरती तथा पूजा होती है भक्तों में प्रसाद आदि का वितरण होता है समर्थ साहेब पियारे दास की कुछ कीर्तियां इस ब्लॉग में शामिल करने का प्रयत्न किया गया है आशा है कि सभी सतनामी भक्त लाभान्वित होंगे समर्थसाहब पियारे दास जी समर्थस्वामी जगजीवन साहब के शिष्य एवं सत्यनाम सम्प्रदाय के चौदह गद्दी में से एक हैं, आप सत्यनाम सम्प्रदाय के महान सिद्ध संत थे।आपकी तपोस्थली जरौली धाम पर दर्शनार्थ जाने के लिए बहुत ही सुगम एवं सीधा मार्ग है।जो लोग लखनऊ और सुल्तान पुर से जाना चाहते हैं उनके लिए हैदरगढ़ चौराहे से हैदरगढ़ भिटरिया मार्ग पर लगभग-(12)किलोमीटर चलकर असन्दरा बाजार पहुंच कर असन्दरा थाने के निकट से जरौली धनौली सम्पर्क मार्ग पर मात्र दो किलोमीटर की दूरी तय करते ही पियारे दास जी का स्थान है, और जो लोग लखनऊ फैजाबाद मार्ग से पियारे दास जी की तपोस्थली जरौली दर्शनार्थ आना चाहते हैं उनके लिए भिटरिया चौराहे से हैदरगढ़ रोड पर लगभग(25)किलोमीटर चलकर असन्दरा बाजार से उपरोक्त निर्देशित मार्ग से पियारे दास जी की तपोस्थली जरौली जाकर दर्शन का लाभ ले सकते हैं, अधिक जानकारी के लिये देखें धर्मे धाम ब्लॉग Dharmedham धर्मेधाम |
समर्थस्वामी जगजीवन साहब के चार प्रथम शिष्य
3-समर्थसाहब देवीदास पुरवाधाम जिला बाराबंकी(उत्तर प्रदेश)।
4-समर्थसाहब ख्याम दास मदनापुर जिला बाराबंकी(उत्तर प्रदेश)। समर्थस्वामी जगजीवन साहब के 14 शिष्य (14 गद्दी) |
Wednesday, April 10, 2019
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