समर्थ साहेब बाल दास जी Photo Galary
समर्थ साई जगजीवन साहब द्वारा संगठित सतनाम पंथ मे चार पावा और चौदह गद्दियों मे साहब बाल दास का नाम सतनामी पंथ मे बड़ी श्रद्धा के साथ लिया जाता है आप ने बदोसराय के निकट अमरा नगर मे अपनी तपोस्थली बनायी आप कोरी जाती के थे तथा आप के महान तप के कारण आपको चौदह गद्दी मे महान सम्मान मिला आप की साधना बहुत ही उच्च कोटि की थी। आप विरक्त वैरागी संत रहे एवं आजीवन अविवाहित रहे इसलिए आप की वंश परंपरा मे कोई भी नहीं है। कहते है कि आप ने अपना शरीर जगजीवन साहब के समय मे ही छोड़ दिया था।
अमरा नगर के लोग जातिगत भेद भाव के कारण आप के विरुद्ध रहे और सदैव साधना स्थल मे साधना करने मे विघ्न डालते रहे। आप अलमस्त एवं फक्कड़ संत रहे इसलिए उच्च जाति के लोग आप से नफरत रखते थे। शरीर छूटने के बाद गाँव वासियो ने आप के शरीर को बीच तालाब के अंदर गहरे पानी मे गाड़ दिया।
सतनामी साहित्य एवं जन श्रुतियों के आधार पर यह विदित हुआ है कि गाँव अमरा नगर सीमा के अंदर तीन वर्ष तक एक बूंद भी पानी नहीं बरसा। सभी लोग भूखों मरने लगे तब सभी गाँव वासी एक साथ समर्थ साई जगजीवन दास साहब के पास गए और अपनी व्यथा सुनाई और कारण पूछा कि गाँव की सीमा के चारो तरफ बारिश तो हो जाती है परंतु अमरा नगर गाँव मे क्यो पानी नहीं बरसता है? समर्थ साई जगजीवन दास साहब ने सभी से कहा कि संत बाल दास जी को जीवन भर आप लोगो ने अपमानित किया है और उनकी साधना मे विघ्न डाला और उनकी हसी उड़ाते रहे, और वह संत होने के कारण आप सब को माफ करते रहे किन्तु मृत्यु के बाद भी उनका नाम मिटाने के लिए उन्हे अपमानित करने के लिए उनके मृतक शरीर को सभी गाँव वासियो ने तालाब के अंदर पानी मे गाड़ दिया तो बाल दास साहब के अधीन तो पांचों तत्व हैं पानी मे रहते हुये कैसे अमरा नगर मे पानी बरसने देंगे, यदि आप लोगो को मुझ पर विश्वास हो तो उनके शरीर को निकाल कर बगल मे ऊँचे स्थान पर समाधि दे दीजिये उसी दिन बारिश हो जाएगी।
समस्त गाँव वासियो ने फिर उनकी समाधि तालाब के बगल मे ऊँचे स्थान पर दे दी और सभी लोगो ने बाल दास साहब से अपने कृत्यो की क्षमा याचना की, कहते हैं कि समाधि देते ही इतना पानी बरसा कि गाँव जलमग्न हो गया।
कोटवा धाम की चार पावा और चौदह गद्दियों की आरती मे लिखा है-
“बाल दास कोरी का जामा
अमरा नगर किए विश्रामा”
यह आरती श्री कोटवा धाम मे तथा अन्य सभी सतनामी धार्मिक स्थलो पर प्रतिदिन होती है
कोरी समाज द्वारा वर्तमान मे यहाँ विशाल मंदिर एवं सत्संग भवन तथा अवसीय व्यवस्था की गई है। गाँव वासियो ने बताया कि साहब बाल दास हम लोगो के लिए पूज्यनीय हैं हम लोग अपने घर के कोई भी काम करने से पहले समान निकाल कर समाधि पर चढ़ा जाते हैं। यहाँ जन सहयोग से भंडारा होता रहता है।
यह स्थान बाराबंकी जनपद से 35 किलोमीटर तथा लखनऊ से 60 किलोमीटर की दूरी पर है। यह स्थल ध्यान के लिए उत्तम स्थान है, मंदिर के तीन तरफ बड़े सरोवर स्थित है यहा का दृश्य काफी मनमोहक एवं दिव्य आलौकिक है। |
समर्थस्वामी जगजीवन साहब के चार प्रथम शिष्य
3-समर्थसाहब देवीदास पुरवाधाम जिला बाराबंकी(उत्तर प्रदेश)।
4-समर्थसाहब ख्याम दास मदनापुर जिला बाराबंकी(उत्तर प्रदेश)। समर्थस्वामी जगजीवन साहब के 14 शिष्य (14 गद्दी) |
Wednesday, March 27, 2019
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