卍 ॐ जगजीवन नमो नमः श्री जगजीवन नमो नमः। जय जगजीवन नमो नमः जय जय जग जीवन नमो नमः।। 卍

Wednesday, March 27, 2019

समर्थ साहेब उदयराम दास जी     Photo Galary
          प्रसिद्ध सतनामी संत समर्थ साहेब उदयरामदास का जन्म बाराबंकी जिले में गोमती नदी के किनारे हरचंदपुर नामक ग्राम में हुआ था आपके पिता नरोत्तम दास जी ब्राह्मण व परम ईश्वर भक्त थे परंतु आपने समर्थ साई  श्री जगजीवन दास से मंत्र दीक्षा लेकर उनके परम शिष्य के रूप में विख्यात हुए मंत्र दीक्षा उपरांत आप हरचंदपुर गांव में आकर साधना रत हुए किंतु गांव के लोग बहुत ही व्यंग करते तथा परेशान करते कि ब्राह्मण होकर छत्रिय से मंत्र दीक्षा ली और हाथ जोड़कर व्यंगात्मक लहजे में कहते पंडित जी प्रणाम !!!परेशान होकर एक दिन एक व्यक्ति के लिए समर्थसाहेब उदय रामदास के मुख से निकल गया आप इसी  मुद्रा में अच्छे लगते हैं फलत: उस व्यक्ति का हाथ जुडा ( नमस्कार मुद्रा) में ही रह गया जब बहुत प्रयास करने पर भी हाथ ना खुला तो समर्थ  साहेब  उदय रामदास जी से निवेदन करने लगा तब साहब उदय रामदासजी  ने कहा मुझे कुछ नहीं पता जो भी है सब सद्गुरु जाने फलत:   परिवार के लोग उसे कोटवाधाम लेकर गए और समर्थ  साई जगजीवनदास से अनुनय विनय की समर्थ श्री साई  जगजीवन दास ने कहा उदय रामदास सब मे समर्थ हैं उन्हीं की शरण में जाओ तुमने उनका हृदय दुखाया है अतः पीड़ित परिवार व्यंगकार को लेकर पुनः साहिब उदय राम दास के पास आकर क्षमा याचना करने लगा तब समर्थ साहेब उदय रामदास ने कहा जैसी सद्गुरु की इच्छा यह कहते ही उसका हाथ खुल गया इस तरह गांव वालों ने समर्थ साहेब उदय राम दास साहेब की साधना में विघ्न पहुंचाना बंद कर दिया कहते हैं आप की वाणी का ओज ऐसा  था मानो कोई परम विद्धान अपनी ओजमयी वाणी प्रस्फुटित कर रहा हो एक बार समर्थ श्री जगजीवन दास ने आपका वाक कौशल देखकर कहा उदय रामदास संतों की वाणी मे ओजस्विता नहीं मृदुलता  और विनम्रता अधिक होनी चाहिए गुरु भक्त साहिब उदय रामदास ने उसी दिन से विनम्रता और मधुरता धारण कर ली  और आजीवन किसी से भी उच्च स्वर में बात ना की  आप को आजीवन सद्गुरु के उपदेशों का और आदेशों का स्मरण रहा आपकी विनम्रता देखकर समर्थ साई  जगजीवन दास परम कृपालु हुए और आपको पागलों को ठीक करने का वरदान दिया क्योंकि पागल लोग गाली-गलौज भी करते हैं और उटपटांग हरकतें भी| आत: समर्थ साई  जानते थे कि ऐसे लोगों पर करुणामयी  दृष्टि समर्थ साहेब उदयरामदास ही कर सकते हैं आज भी बड़े बड़े पागल इस धाम की विभूति और अभरण के जल से ही ठीक हो जाते हैं समर्थ साहेब उदय रामदास के 2 पुत्र थे जेष्ठ पुत्र रामसेवक दास और और छोटे पुत्र का नाम नंदू दास् था दोनो ही पुत्र महान नामो पासक हुए  आसपास के कई गांवों में हरचंदपुर गद्दी के प्रति विशेष श्रद्धा है
          समर्थसाहब उदयराम दास साहब और समर्थसाहब नेवलदास जी समर्थस्वामी जगजीवन साहब के चौदह शिष्यों(चौदह गद्दी)में से एक हैं आप सतनाम सप्रदाय के महान सिद्ध संत थे।आप ने स्वामी जी से दीक्षा ग्रहण करने के बाद अपने पैत्रिक गांव में ही अपनी तपोस्थली बनाई,आपकी तपोस्थली पर जो भी भक्त दर्शनार्थ जाना चाहते हैं उनके लिए अगर लखनऊ फैजाबाद मार्ग से आते हैं तो भेलसर चौराहे से जो कि फैजाबाद से लगभग चालीस किलोमीटर लखनऊ रोड चलकर रूदौली कस्बे से होकर शुकुल बाजार रोड पर लगभग पंद्रह बीस किलोमीटर चलकर बाबा की बाजार और कस्बे के दो तीन किलोमीटर पस्चिम दिशा में स्थित है और वहीँ बाबा बाजार से एक किलोमीटर की दूरी पर ही पूरब दिशा में सिद्ध संत पुरुष साहब नेवलदास जी का सिद्धस्थान भी  है, उपरोक्त दोनों संत सिद्धस्थान के पूरब दिशा में माता कामाख्या देवी काबहुत प्रसिद्ध सिद्धपीठ मन्दिर भी है ।और लखनऊ वाराणसी रोड से आने वाले भक्तों को जगदीशपुर और शुकुल बाजार से रूदौली भेलसर सम्पर्क मार्ग से समर्थसाहब के दर्शनार्थ उपरोक्त तीर्थस्थल पर बहुत ही सुगमता से पहुंचा जा सकता है,
                    सतनाम बंदगी।।

समर्थस्वामी जगजीवन साहब के चार प्रथम शिष्य


समर्थस्वामी जगजीवन साहब के 14 शिष्य (14 गद्दी)

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