卍 ॐ जगजीवन नमो नमः श्री जगजीवन नमो नमः। जय जगजीवन नमो नमः जय जय जग जीवन नमो नमः।। 卍

Saturday, April 6, 2019

कीर्ति गाथा 2


          ईश्वरोपासना की अनेक विधाएं समय-समय पर ऋषियोँ मुनियों तपस्वियों एवं संतों द्वारा अपने प्राप्य के आधार पर प्रस्तुत की गई है। जनमानस उनका अनुकरण अपनी दिनचर्या के अनुकूल करते आ रहे है। आज विश्व धर्मों की श्रृंखला में अनेक सम्प्रदाय और पंथ अपनी-अपनी मान्यताओं की ज्योति प्रज्वलित कर आत्मशांति का उपाय खोज रहे है। वैसे यह सत्य है-
"जिन खोजा तिन पाइयां, गहरे पानी पैठि।"
ईश्वर एक है, धर्म एक है। किंतु उपासक अपने उपास्य के अनुसार अनेक सम्प्रदायों में बंटे है, और अनेक पंथ अपनी भूमिका निभा रहे है। जिसका तात्पर्य यह है कि मंजिल एक है और रास्ते अलग-अलग। जिस रास्ते जिसे जितना सत्य प्रतीत हुआ उसी रास्ते का उपदेश दिया। यानि पंथ और पथ एक दूसरे के उपनाम है। उपासना के विभिन्न तरीके है जो पंथ के नाम से सत्यापित है। जिससे मतावलंबियों के छोटे-बड़े अनेक समूह जुड़े हुए है। जिसकी अनेकता ही एकता का प्रतीक है, क्योंकि सबका एक ही लक्ष्य है और एक ही ईश्वर पर आस्था। जबकि अनेक भाषानुसार उसके अनेक नामो की परिकल्पना है। 
धार्मिक पंथों की श्रंखला में 'सत्यनाम पंथ' की महान भूमिका है, और 'साईं दाता' पंथ का आदि गुरु है। तथा 'कबीर पंथ' से अपने को समन्वित करता है। सतनाम सम्प्रदाय की स्थापना महान उदगाता सन्त स्वामी श्री जगजीवन दास जी महाराज द्वारा आज से लगभग 375 वर्ष पूर्व की गई। स्वामी श्री ने एक संगठन सतनाम सम्प्रदाय का चार पावा चौदह गद्दी का बनाया। इसी के माध्यम से सतनाम पंथ का प्रचार प्रसार होता रहा है। स्वामी श्री के मुख्य 4 पावाधर महन्तों में-
1- समर्थ साहेब गोसाई दास जी महाराज कमोली धाम जनपद बाराबंकी
2- समर्थ साहेब दूलन दास जी महाराज धर्मे धाम जनपद अमेठी (रायबरेली)
3- समर्थ साहेब देवीदास जी महाराज पूरे देवी दास पुरवा धाम जनपद बाराबंकी
4- समर्थ साहेब खेमदास जी महाराज हरसकरी धाम मधनापुर जनपद बाराबंकी। 
   

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